Friday, November 7, 2014

मेरे दिल में तू ऐसे कहीं उतर सी गयी है....

मेरे दिल में तू ऐसे कहीं उतर सी गयी है‚
♪ उतर कर सांसों में थम सी गयी है ♪

कि आइने में देखता हूँ खुद को‚
पर सूरत मेरी कहीं खो सी गयी है

♫ सीरत तो मेरी है ♫
पर सूरत तुम्हारी हो गयी है

सपने देखता तो हूँ दिन में भी‚
पर नींद मेरी कहीं खो सी गयी है

♪ सपने तो मेरे हैं पर ♪
उनमे भी झलक तुम्हारी ही हो गयी है

दिल–ओ–दिमाग तो मेरा है‚
पर उनमें सोंच भी तो तेरी ही हो गयी है

♫ मैं तो जैसे दुनिया की भीड़ में कहीं खो सा गया हूँ ♫
पर मुझमें तू पूरी तरह से समा गयी है

मेरी जिन्दगी का तो कुछ पता ही नहीं‚
पर मेरी दुनिया तो तुझमें ही सिमट सी गयी है।।



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