Friday, November 7, 2014

एक ख्वाब...

कल रात कली एक ख्वाब में आयी....
धीरे से मेरी नींद उड़ायी....
चुपके से दिल की बात कही‚‚‚‚
कह गयी वो दिल के राज कई।।
वो बातें जो कब से दिल में थीं‚‚‚‚
जो इससे पहले उसने किसी से कहीं नहीं।।
कह गयी क्यों रखा है छुपा के???
अपने दिल को इतना तड़पा के।। ।।

मैं सुनता रहा,,,
पर,,, कुछ कह न सका
वो बातें जो उसने मुझसे कहीं,
मेरी यादें जिसका कोई राज़ ना था....
आज बचा न था उससे राज कोई।।
हर बीते और गुजरे पल का एहसास हुआ...
दुःख मुझको इतना आज हुआ।। ।।

रोता रहा जब आँख खुली,,,
किये हैं गुनाह मैंने जो कई।।
कहने की तो हिम्मत मुझमें है नहीं,,,
कहता हूँ तुमसे मैं आज यही.....
कर देना माफ मुझे तुम,,,,
दिये हैं दर्द जो तुमको मैंने कई।। ।।



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