Tuesday, March 19, 2019

गुस्सा (Anger) ANGER in any relationship

अपने पिछले Article में मैनें मोहब्बत/प्यार/इश्क के बारे में लिखने की कोशिश की। पर अभी लगता है जब तक प्यार में गुस्सा, रूठना-मनाना न हो, तब तक वो अधूरा है। इसलिए अपने इस Article में मैं गुस्से के बारे में लिखने की कोशिश कर रहा हूँ। मैं ग़लत भी हो सकता हूँ। इसलिए इस पर अपनी Opinion जरूर दीजिएगा। 

प्यार और गुस्सा दोनों एक ही सिक्के के दो पहलू हैं। जहां प्यार होता है वहां गुस्सा होना लाजमी है, या यह कहना भी गलत नहीं कि प्यार और गुस्सा एक दूसरे के पूरक होते हैं। गुस्सा एक ऐसी चीज है जो थोड़ी-बहुत सब में होता है। फर्क सिर्फ इतना है कि कोई आवश्यकता से अधिक गुस्सा करता है तो कोई कम। कुछ लोग ऐसे भी होते हैं, जिन्हें गुस्सा जरूर आता है, लेकिन वे उसे व्यक्त नहीं करते। ऐसा कभी आदतवश होता है और कभी विवशता के कारण। पर ये सच है कि हम सभी को कभी न कभी किसी न किसी बात पर गुस्सा आता ही है, क्योंकि अन्य Feelings की तरह यह भी एक Feeling/Emotion है। अक्सर लोग जब अपना गुस्सा उस आदमी पर व्यक्त नहीं कर पाते, जिस पर वे करना चाहते हैं तब वे अपना गुस्सा दूसरी चीजों पर निकालते हैं।

जहां प्यार वहां गुस्सा जरूर आता है। लेकिन इसका असर रिश्ते पर न पड़े यह भी जरूरी है, गुस्सा अगर आया है तो इस पर काबू करना जरूरी है। जब हम किसी दिमागी परेशानी से जूझ रहें हों तो उस वक्त सामने वाले की चाहत और जरूरत को समझना काफी मुश्किल हो जाता है। यह मुश्किल का दौर हो सकता है, इस दौर से निकलना बहुत जरूरी है।

हम अपने सामने वाले से जरूरत से ज्यादा अपेक्षाएं करने लगते हैं जो हमारे रिश्तों में गुस्से की एक वजह हो जाती है। एक दूसरे से उम्मीद रखने में कोई बुराई नहीं है मगर ध्यान रहे कहीं ये उम्मीदें उसकी क्षमता से ज्यादा तो नहीं। फिर कहते है ना जहां ज्यादा उम्मीदें होती है निराशा वहीं से आती है। वक्त बीतने पर जब Coordination बढ़ जाता है तब ये उम्मीद कम कर देना चाहिए।

हम जिनके साथ होते हैं जरूरी नहीं हमारी सोंच भी एक जैसी हो इसलिए अगर उन्हें किसी बात से नाराजगी भी होती है तो उसे प्यार से आपस में Discuss करें। उसे सबके सामने जाहिर न करें। इसका दोनों पर गलत प्रभाव पड़ सकता है। कई बार ऐसा भी होता है कि किसी छोटी-सी बात पर या बेवजह बहुत तेज गुस्सा आता है और ऐसी स्थिति में आपसी संबंधों में दरार पड़ने तक की नौबत आ जाती है।


नए-नए रिश्तों में कई तरह की चीजें होती हैं। जैसे घंटों फोन पर बात करना, एक दूसरे का बहुत ज्यादा ख्याल रखना, डेटिंग के दौरान गलती होने पर माफी मांगना, आदि। लेकिन समय के साथ ये कम हो जाता है। वो इसलिए क्योकिं रिश्ते में थोड़ा गाढ़ापन आने पर इन चीजों की विशेष जरूरत नहीं पड़ती। इस बात के लिए शायद मैं गलत भी हो सकता हूँ, लेकिन ऐसा मेरा मानना है। 


रिश्तों में विश्वास का होना बहुत जरूरी है वरना ये दरार पड़ने में देर नहीं लगेगी। कई बार हम विश्वास ना होने की वजह से एक दूसरे से नाराज हो जाते हैं या उन पर गुस्सा उतार देते है। एक दूसरे के बीच विश्वास अगर बना रहेगा तो कई Situations को आसानी से समझा जा सकता है और गुस्से को संभाला जा सकता है।

कुछ लोगों की आदत में गुस्सा शामिल ही होता है। वो कई बार छोटी-छोटी बातों पर या बिना किसी वजह ही गुस्सा हो जाते है। इन आदतों को समझना बहुत जरूरी है वरना ये रिश्ते के लिए अच्छा नहीं होगा। साथ ही इन्हें दूर करने की कोशिश भी करनी चाहिए।

गुस्से को सहना आना बहुत जरूरी है वरना ये आपकी रिलेशनशिप को खराब कर सकता है। गलतियां इंसान से ही होती है। गलती पर तुरंत प्रतिक्रिया देने के बजाय थोडा धैर्य से काम लेना चाहिए, सोच विचार कर उसे समझायें कि उसने कहाँ गलती की और उसे कैसे ठीक किया जा सकता है। इसी तरह अपनी गलती पर भी, धैर्य रख सोच विचार कर सोचना चाहिए कि अगली बार ये गलती ना दोहराई जाय।

जब हम किसी के बहुत नजदीक होते हैं तो आपसी सम्मान को भूल जातें है। हम बिना सोचे ही बोल देते हैं (ऐसा मेरे साथ अक्सर होता है।) इन आदतों को सुधारना जरूरी होता है। हमें हमेशा ध्यान रखना चाहिए कि मेरा कहा शब्द सामने वाले को कहीं दुःख तो नहीं पहुंचायेगा। इन बातों का अगर ख्याल रखें तो गुस्सा खुद-ब-खुद दूर हो जाएगा।  

किसी के गुस्सा होने पर, उससे बात करते समय आपको शांत रहना चाहिये। यही सबसे अच्छा तरीका है। क्यूंकि आग को आग से नहीं बुझाया जाता। आग बुझाने के लिए पानी की ही जरूरत होती है। जब वह आपको शांत होकर अपनी बात सुनते देखते है, तो उन्हें अहसास होता है कि गुस्सा करने की कोई जरूरत नहीं है। कई बार हम गुस्सा शांत करने के लिए झूठ का सहारा ले लेते है। इससे उस समय तो गुस्सा शांत हो सकता है पर शायद भविष्य में यही झूठ कोई बड़ी परेशानी भी ला सकता है।

जब भी आपका प्यार आपसे गुस्सा हो तो उसे प्यार से मनाने की कोशिश करें। उस वक्त के लिए उसकी सारी बातें मान लें। क्योंकि प्यार से बड़ी कोई दवा नहीं होती है। बेशक गुस्से की कोई दवा नहीं होती, लेकिन इसे Control तो किया ही जा सकता है।

समझदारी के बिना कोई भी रिश्ता पनप नहीं सकता। अगर आप अपने प्यार को जानते-समझते हैं तो आपके लिए उसके गुस्से को काबू करना आसान होगा। सबसे पहले गुस्से का कारण समझें। कुछ लोगों के लिए गुस्सा अपनी Feelings को जाहिर का तरीका होता है। वहीं कुछ लोग गुस्से में Hyper होते हैं। हम जिनके साथ होते हैं उनके दिल के करीब होने के नाते यह हमारी जिम्मेदारी है कि हम उनके स्वभाव को समझें। 

गुस्से में किसी चीज को उठाकर फेंकने से या मारने से हमारे अंदर की भड़ास निकल जाती है और उसके जल्दी शांत हो जाने की संभावनाएँ बढ़ जाती हैं। इसके विपरीत कुछ लोगों को गुस्सा करने की आदत पड़ जाती है जिससे वे अंदर ही अंदर घुटते रहते हैं। गुस्सा दबाना या उसे जाहिर न करना शुरू में किसी विवशता के कारण होता है, जो बाद में आदत का रूप ले लेता है। सच तो यह है कि गुस्से की आग बुझती नहीं बल्कि अंदर ही अंदर सुलगती रहती है। 

इस कारण अक्सर लोग निराशा का शिकार हो जाते हैं और नशे का सहारा लेने लग जाते हैं। गुस्सा दबाने का असर हमारे दिल पर तो पड़ता ही है साथ ही साथ दिमाग पर भी बहुत ज्यादा पड़ता है। यदि मनुष्य अपनी Feelings को जाहिर करे, विशेषकर गुस्से को, तो वह शारीरिक दर्द जैसे सर दर्द, तनाव (Tension/Stress), ब्लड प्रेशर से छुटकारा पा सकता है। अपने अंदर Feelings  इकट्ठा करते जाने से शरीर, दिल और दिमाग सब पर Negative Effect पड़ता है।

पति-पत्नी अक्सर एक-दूसरे के प्रति अपना गुस्सा ना जाहिर कर उसे मन ही मन में छिपाए रखते हैं। जबकि जरूरत है उसे सही तरीके से जाहिर करने की। ऐसा करने से दोनों ही एक-दूसरे के प्रति सच्चा प्यार और विश्वास जाहिर कर सकेंगे और देखेंगे कि एक-दूसरे को गलतियाँ, बताने पर भी उनके संबंधों पर उसका कोई बुरा असर नहीं होता है। वे अपनी सच्ची भावनाओं को हमारे सामने व्यक्त कर सकते हैं। यदि वे हमसे नाराज हैं तो इसको छिपाने की आवश्यकता नहीं। यदि वे हमारे ऊपर अपना गुस्सा जाहिर कर रहे हैं, तो इसका अर्थ यह नहीं कि वे हमसे नफरत करते हैं। गुस्सा जाहिर करना कोई गलत बात नहीं। 
सच तो यह है कि गुस्सा भी प्यार को जाहिर करने का ही एक तरीका है।
-दीपराज सेंगर.Animated Indian Flag  
Deepraj Sengar

  चुप चुप अब रहता हूँ, तो फिर बोलना सिखा दे। मैं हँसता नहीं अब, तो फिर मुस्कुराना सिखा दे । सिखा दे हर वो चीज जो मैं भूल गया हूँ। ...