मोहब्बत कोई मीठा च्युइंगम नहीं जिसे सिर्फ मिठास की हद तक चबाया जाए..दुनिया में सबसे पवित्र है तो वो है बस- प्रेम, इश्क़, मोहब्बत; जो दिल करे कह लीजिये ज़नाब शब्दों में क्या रखा है.... मोहब्बत तो तब कामिल होती है जब जितनी शिद्दत से उस मोहब्बत की ख़ूबसूरती की ख़ुशी को महसूस किया जाता है उतनी ही शिद्दत से आंसुओ के सैलाब में खुद को बहाने का हौसला भी रखा जाए और तब भी दिल के तराजू में मोहब्बत में कोई कमी न आने पाये... मोहब्बत दिल से होती है खुद ब खुद होती है.. वो तो रिश्ते हैं जिनमे दिमाग शामिल होता है give and take की policy होती है,शायद इसीलिए रिश्ते मर जाते हैं(तब भी लोग समाज के डर से उनको ढोते हैं) पर मोहब्बत कभी मरती नहीं.. चाहे वो लाख दर्द दे पर उस दर्द पर मोहब्बत में मिला एक पल का सुकून उस दर्द पर भारी पड़ता है....मोहब्बत एक खुशबू है जो हमेशा साथ चलती है.. इसके होने पर कोई इंसान तनहाई में भी तनहा नहीं रहता....
और हाँ.. मोहब्बत का ये सफ़र बहुत फिसलन भरा होता है इसके खूबसूरत पड़ाव में बदकिस्मती और वक़्त की मार से बेखबर हम ख़्वाबों,इरादों की मीनारें खड़ी करते जाते हैं और बस एक पल लगता है सब बिखर जाने में... तब इतनी गहरी चोट लगती है मानो किसी ने आसमान से ज़मीन पर ला पटका हो.. हम रोते हैं.. फूट कर रोते है.. पागलों सा बर्ताव करते है.. जीना नहीं चाहते..सामने वो मंज़र दिखता है जिसमे ये साफ़ पता होता है कि यही तकलीफ ज़िन्दगी के हर पल में हमें जीते जी मारने वाली है... ऐसे में जिसकी मोहब्बत दम तोड़ दे... वो समझे कि उसने कभी मोहब्बत की ही नहीं... मोहब्बत को कभी जाना ही नहीं... क्योंकि मोहब्बत जब हद से गुज़र जाती है तो उसमें वापसी का कोई रास्ता नही होता और न ही होता है कोई मलाल.. मोहब्बत के सफ़र में अगर बदकिस्मत निकले और हमराही साथ छोड़ भी जाए तो मानो वो सफ़र का अंत नहीं शुरुआत है.. हाँ वो खुशनसीब होते हैं जिनको मोहब्बत में हमराही मिलता है उसका साथ मिलता है पर न मिले तब भी मोहब्बत कायम रखना ही तो मोहब्बत है.. जिसमे दोनों तरफ से साथ की ज़रुरत हो वो तो रिश्ते होते हैं.. रिश्ते का वजूद कायम रखने को दो लोगों की ज़रुरत होती है... मोहब्बत के लिए तो अकेला ही काफी है... मोहब्बत की एक मंज़िल होती है रिश्ते में बंधना... पर जो सामने वाला काबिल न समझे और मोहब्बत को वो मंज़िल न मिले.. तब भी उन एहसासों की गर्माहट में कोई फर्क न आये.. वो है मोहब्बत.....
मोहब्बत की एक अनिवार्य शर्त होती है.. खुद का मोह छोड़ देना.. खुद को भूल जाना.. खुद के अहं (Ego) को भूल जाना.. किसी और को हद से ज्यादा मोहब्बत करने के लिए सबसे पहले खुद से मोहब्बत छोड़नी होती है...
मोहब्बत की एक अनिवार्य शर्त होती है.. खुद का मोह छोड़ देना.. खुद को भूल जाना.. खुद के अहं (Ego) को भूल जाना.. किसी और को हद से ज्यादा मोहब्बत करने के लिए सबसे पहले खुद से मोहब्बत छोड़नी होती है...
मोहब्बत में एक और बात जो जरूरी है तो वो है कि बीच में कोई परदा, कोई दीवार न हो.. कोई राज़ न हो.. मोहब्बत का रिश्ता आईने की तरह साफ हो..., जो उम्मीद तुम अपने साथी से अपने हमराही से करते हो.. उन्हें पहले तुम खुद भी पूरा करो... तो मोहब्बत का सफ़र उतना ही ज्यादा अच्छा होता जाता है... अगर ऐसा नहीं है, तुम्हें कुछ कहने में, बताने में सोचना पड़ रहा है तो मानो की अपनी मोहब्बत पर तुम्हें खुद ही भरोसा नहीं...... मोहब्बत में ईमानदारी (Loyalty) भरोसा भी उतना ही जरूरी है.. जितना कि शर्बत में मिठास.. क्योकि मोहब्बत बिना यक़ीन के मंजिल तक नहीं पहुंच सकती और न ही मुकम्मल हो सकती है....
मोहब्बत करने की बड़ी ताकत चाहिए होती है जनाब, खुद को तबाह करने की ताक़त.., मर मर के जीने की ताक़त.., उसकी याद में पूरी की पूरी रात जागकर बिताने की ताक़त.., चुपके से रातों में रोना पर लोगो के सामने सब ठीक ज़ाहिर करने की ताक़त.., दिल के दर्द को छुपाकर मुस्कुराने की ताक़त... मोहब्बत की दुनिया में सब कुछ हसीं है.. मोहब्बत नहीं है तो कुछ भी नहीं है...
Deepraj Sengar |
Kya bat bhai! Ek ek word dil ko chuu lia
ReplyDeleteThnkuuu... :)
Deleteyhi hai schi mohbt <3
ReplyDelete😊😊
DeleteNice lines
ReplyDeletethanks.. 😊
DeleteJakkassss😊😊😊😊👌👌👌👌👌
ReplyDeleteThnkuu..😊
Deletenice lines bro! hrt tching
ReplyDeleteThnks a lot.. 😊
Deleteआपका यह लेख हमें बहुत ही अच्छा लगा। हम कामना करते है की आप और आगे लिखे
ReplyDeleteबहुत बहुत धन्यवाद भाई.. 😊
DeleteShi h bhai sahab
ReplyDeletethnkuu... 😊😍
DeleteNo words hv to say.. Totally speechless 😷😍
ReplyDeletethanks a lot... 😊
DeleteSuperb yara👌👌
ReplyDeletethnkuuu.... 😍
DeleteUltimate
ReplyDeleteThankuu 😊
DeleteSpeechless word to word
ReplyDeleteThanks a lot.. 😊
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