Saturday, August 24, 2019

नफ़रत (Hate)

प्यार दुलार, Caring और Respect ना केवल खोजना मुश्किल है, बल्कि कई लोगों के लिए इसे accept कर पाना ज्यादा मुश्किल है। इन सबसे भी ज्यादा मुश्किल है नफरत, जिससे आप प्यार करो और आपको उसकी नफरत का सामना करना पड़े। जैसा मैंने अपने पिछले article में अपने personal thought से लिखा था कि जहाँ प्यार होता है, वहां गुस्सा जरुर होता है और प्यार वहीं होता है जहाँ यकीन होता है। इसके अलावा एक और पहलू है, जिससे मैं भी अनजान था या फिर यूँ कहिये कि कभी सोंचा ही नहीं था, और वो पहलू है नफरत...

यूँ तो प्यार सबसे ताकतवर चीज है पर नफरत को भी कम ना आंकिये... प्यार और नफरत दोनों पानी और आग के जैसे हैं। नफरत की शुरुआत सामने वाले के प्रति हमारे मन में आने वाली कड़वाहट और Negativity से होती है। कई बार तो पुरानी से पुरानी, बहुत ज्यादा नफरत भी कुछ ही पलों में प्यार में बदल जाती है, और तब ख़ुशी भी होती है, आँखों से आंसू छलछला जाते हैं, पर वो ख़ुशी के आंसू होते हैं। लेकिन वही ठीक इसके Opposite कई बार कुछ ऐसा हो जाता है जिसका आपको अंदाजा भी नही होता, पता भी नही होता और प्यार में नफरत आ जाती है और तब ख़ुशी नहीं तकलीक होती है, बहुत ज्यादा तकलीफ..... आँखों से आंसू तब और भी ज्यादा छलछला जाते हैं और वो रुकते नहीं... तब जो तकलीफ होती है उसे बता पाना, समझा पाना या लिख पाना मुश्किल है।  

प्यार का सफर इतना आसान नहीं होता जनाब!  प्यार का सफर अगर इतना आसान होता तो राधा कृष्णालैला मजनूशीरिन फराद को इतनी मुश्किलें न आती। एक महान शायर हुए हैं -जिगर मुरादाबादी, उन्होंने प्यार के सफर पर यहाँ तक लिख दिया-
ये इश्क़ नहीं आसान बस इतना समझ लीजिये
एक आग का दरिया है और डूब के जाना है,
ज़ुल्म होंगे सितम होंगे इस राहे-इश्क़ मुहब्बत में
हर तरफ बस कहर होंगे,
हर तूफ़ान हर बाधा को बस चीर जाना है,
इस आग के दरिया में बस डूब जाना है,
हर गली तपती राह होगी
हर फूल भ़ी एक काँटा,
गोली से छलनी दिल भी होगा,
सांसो को भी दर्द
हर दर्द को झेल बस इश्क़ पाना है
इस आग के दरिया में बस डूब जाना है,
हर कोई हौसला तोड़ेगा,
हर कोई मुंह मोड़ेगा,
इस राहे इश्क़ मुहब्बत में 
हर कोई प्यार को तोड़ेगा,
अपने प्यार को लेके इस ज़ालिम जहां से लड़ जाना है,
इस आग के दरिया में बस डूब जाना है,
ग़ालिब ने ना झूठ कहा मैने भी ये माना,
सच है इस दुश्वार जहाँ में ये इश्क़ नहीं आसान
एक आग का दरिया है और डूब के जाना है

अब आप खुद समझ लीजिये कि कितना मुश्किल होता है ये प्यार का सफर और जो इन मुश्किलों से लड़ कर भी आगे बढ़ गया तो उसका प्यार पूरा हो जाता है। किसी से बहुत ज्यादा नफरत होने के लिए या तो उस इंसान से बहुत ज्यादा दोश्ती/प्यार होना जरूरी है या फिर दुश्मनी। दुश्मनी के कारण तो सबको पता ही होते है पर प्यार में नफरत आने के कारण समझ पाना थोड़ा टेढ़ी खीर है।

मेरे अनुसारप्यार और नफरत ये दोनों एक Close Relationship  का एक सामान्य हिस्सा है। लोग उन लोगों के प्रति Positive और Negative दोनों ही तरह से महसूस करते हैंजिन्हें वे प्यार करते हैं। जिनसे हम सबसे ज्यादा प्यार करते हैं उनके प्रति Negative महसूस करने का मतलब यह नहीं है कि आप कुछ गलत कर रहे हैं या आप एक गलत रिश्ते में हैं। पल में अपने साथी से नफरत करने का मतलब यह नहीं है कि आप उन्हें बहुत प्यार नहीं करते हैं। नफरत भी बस एक पहलू है प्यार का...

जब किसी के साथ किसी भी रिश्ते में बहुत करीब होते हैंतो आपस में बातें भी बहुत होती हैंज्यादा से ज्यादा समय साथ होते हैं। अगर दूर भी हैं तो फोन पर भी घंटों-घंटों साथ होते हैं और ऐसे में ये जरुरी नहीं कि आपको उनकी हर चीज हर बात पसंद ही आये। इन्हीं सबको लेकर आपस में कई बार बहसछोटी-मोटी नोंकझोक भी हो जाती हैं और इन बहसनोंकझोक में Positive-Negative दोनों बातें सामने आती हैं। इसी समय अपने साथी के प्रति ज्यादा Positive feel करने का मतलब है कि आप अपने साथी के प्रति कम Negative feel करते हैंऔर ये आपके रिश्ते के लिए अच्छा भी है।

लेकिन यहीं ठीक इसके Opposite अगर आप अपने साथी के लिए ज्यादा Negative feel करते है तो ये आपके रिश्ते के लिये बिलकुल भी अच्छा नहीं है। ये Negativity जितनी ही ज्यादा बढ़ती जाएगीरिश्ता उतना ही कमजोर होता जाएगा। अगर आप अपने साथी के लिए बहुत ज्यादा Negative feel करने लगे हैं तो इसका मतलब नफ़रत ने आपके दिल में घर कर लिया है और समय रहते इस नफ़रत, Negativity को कम नहीं किया गया तो यही दिल की नफ़रत, Negativity दीमक की तरह खा खा कर प्यार को कम करती चली जाएगी और जब ऐसा होना शुरू हो गया तो गुस्सा ज्यादा आना शुरू हो जायेगाबिना बात के भी गुस्सा बढ़ता जायेगासीधी सी बात को भी आप समझने को तैयार नहीं होगे और समझेगे भी कैसे? क्यूंकि आप तो अब हर चीज Negative नजरिये से देख रहे हैं.... और फिर धीरे-धीरे आपका अपने साथी पर से यकीन भी कम होना शुरू हो जायेगा और अंत में ये यकीन खत्म होने की स्थिति में पहुँच जायेगा और अगर यकीन खत्म हुआ तो लाख कोशिशों के बाद भी आप अपने उस प्यार/रिश्ते को नहीं बचा पाओगे.....

बेशक प्यार में नफरत जैसी कोई चीज है। खुश और स्वस्थ रहने के लिए रिश्तों का हर समय Positive होना जरूरी है। बहुत ज्यादा Negativity किसी भी पुराने से पुराने रिश्ते के लिए भी हानिकारक हो सकती है। Negativity बढ़ जाने के बाद जब आप ज्यादा सोंचने लगते हैं तो बीती पिछली पुरानी बातोंअच्छी यादों में भी हम नुख्श/कमियां तलाश लेते हैं और हर नजरिये से गलत देखना/सोंचना शुरू कर देते हैं। जो बातें उस बीते हुए समय में हमें सही लगती थीवही बातें आज Negativity बढ़ जाने के बाद आपको हर तरह से गलत ही लगती हैं।  

Negativity बढ़ जाने के बाद आपको लगता है कि हमारे साथी को रिश्ते की कोई परवाह नहींकोई कदर नहीं। अगर उसे वाकई में रिश्ते की कोई परवाह नहींकोई कदर नहीं होगी तो वो उस रिश्ते के लिए आपसे बार बार बहस ही क्यूँ करेगाआप खुद से सोंच कर देखिये किकोई भी कभी ये नहीं चाहता कि उसका बना हुआ प्यारा सा रिश्ता किसी भी तरह से खराब हो। जो आपस में नोकझोक हो रही हैं वो शायद अपना प्यारअपना रिश्ता वापस पहले जैसे पाने के लिए हो रही हों। वैसे भी वो प्यार ही क्या जिसमे तकरार न होरूठना मनाना ना हो....

Deepraj Sengar


Wednesday, May 1, 2019

यकीन / विश्वास (Faith) Importance of FAITH in any relationship

अपने पिछले articles में मैने सबसे पहले प्यार फिर गुस्सा के बारे में लिखा था, मेरे पिछले दोनो article इन्ही हाइलाइटेड शब्दों प्यारगुस्सा पर क्लिक करके पढ़ सकते है। आज मैंने अपने इस article में यकीन/विश्वास (Faith) के बारे में लिखने की कोशिश की है। क्योंकि बिना विश्वास के प्यार ही क्या किसी रिश्ते की इमारत नहीं खड़ी हो सकती। प्यार, दोस्ती या किसी भी रिश्ते में विश्वास एक इमारत की नींव की तरह होता है। विश्वास की नींव के बिना किसी भी रिश्ते की इमारत अधिक देर तक नहीं खड़ी हो सकती।

आप मेरे इस article को पढ़ने के बाद यही सोचेंगे कि ये भी कोई बात है लिखने वाली, लेकिन आज मैं पूरी तरह से स्वतन्त्रता पूर्वक कुछ दिनों से अपने मन में आ रहे विचारों को लिखना चाहता था सो लिख दिया। अब आप लोगों को जैसा भी लगे अपनी राय खुलकर दे सकते हैं क्योंकि सबके विचार अलग अलग होते है और ये मेरे व्यक्तिगत विचार हैं। 

यूँ तो हर व्यक्ति एक प्रेमीहोता है क्योंकि प्रत्येक व्यक्ति किसी न किसी चीज से, इंसान से, जीव-जंतु से, भगवान से या प्रकृति से प्रेम करता है और जो प्रेमकरता है वो कवि अपने आप ही बन जाता है। तो आइये आज मैं व्यक्तिमन और कविमन की उथलपुथल और संवेदनशीलता को अपने शब्दों में उतारने की कोशिश करता हूँ। ये कोशिश सफल है या असफल ये तो पूरा लेख पढ़कर आप ही तय करेंगे।

कभी-कभी सोचता हूँ कि जिस व्यक्ति के पास शोहरत, धन-दौलत, स्वास्थ्य, बहुमुखी व्यक्तित्व सब कुछ होता है वो व्यक्ति बहुत सुखी होता है लेकिन जब मैंने जिन्दगी की हकीकत को नजदीक से देखा तो समझ आया कि ऐसा तो बिलकुल भी नहीं है। इन सारी चीजों के अलावा प्यार जिन्दगी का एक अहम् हिस्सा है प्यार की परिभाषा और अंत पर रिसर्च किया तो पाया कि बड़े-बड़े कवियों ने अपनी रचनाओं में इसकी कई परिभाषाएं दे डाली है मैंने भी अपने पिछले article में प्यार की अपने अनुसार एक परिभाषा लिखने की कोशिश की। जहाँ तक प्यार का सवाल है जिसके भरोसे पूरी कायनात टिकी है उसका असर अगर इस दुनियां के हर शख्स पर हो जाए और जुदाई हिस्से में ना आये तो प्यार की परिभाषा ही बदल जाए। चलिए ये तो मुंगेरी लाल के हसींन सपनेहैं जो कभी पूरे नहीं होंगे। हकीकत की जमीं पर विश्वासऔर प्यारदोनों गहरे दोस्त हैं अगर विश्वासहै तो प्यारहै जैसे ही विश्वासदूर हुआ प्यारअपने आप दूर चला जाता है और जब प्यारदूर जाता है तो अपने पीछे छोड़ जाता जुदाईनामक अपनी प्रेमिका को, जो प्यारका रोल बखूबी अदा करती है क्योंकि प्यारका वास्तविक साथी जुदाईहोती है। 

सच्चे प्यार का अहसास किया जा सकता, इसे शब्दों में अभिव्यक्त कर पाना न केवल मुश्किल है बल्कि असंभव भी है। सच्चे प्यार में गहराई इतनी होती है कि चोट लगे एक को, तो दर्द दूसरे को होता है, एक के चेहरे की उदासी से दूसरे की आँखें छलछला आती हैं। प्यार को जिसने भी अपने अन्दर समाहित किया उसने अपने मन की दुश्मनी, द्वेष, घृणा, नफरत को कहीं पीछे छोड़ दिया और जिसने इसका स्वाद नहीं चखा वो अपने पीछे कडुआ और कसैला स्वाद छोड़ता रहा क्योंकि बन्दूक की नोक पर कोई भी किसी को अपने पैर छूने पर मजबूर तो कर सकता है पर नतीजे में सामने वाले के दिल में नफरत का बीज बोकर वो एक नयी कहानी की शुरुआत कर देता है लेकिन प्यार भरी वाणी के बल पर अगर सम्मान लिया जाए तो वो वह आत्मिक संतोष की अनुभूति कराता है, वैसे सोलह आने सत्य है कि प्यारद्वेष को समाप्त करता है। ये सत्य है कि….प्यार निरंकार हैप्यार एक पूजा हैप्यार एक विस्वास हैप्यार जीवन का सत्य हैप्यार चाहत का दर्पण हैप्यार इबादत का एक अंग हैप्यार भगवान का एक रूप है, क्योंकि जब कोई किसी को प्यार करता है तो उसे खुदा मान लेता हैप्यार जब निखरता है तो दुनिया बदल जाती हैप्यार जब परवान चढ़ता है तो अमीर-गरीब उंच-नीच का भेद न जान पाताप्यार जब सम्पूर्ण होता है तो समर्पण में बदल जाता हैप्यार जब अपने पे आता है तो पागलपन की हद से गुजर जाता है, और प्यार जब बिखरता है तो आत्मा झुलस जाती हैप्यार में आहत होना या प्यार में आहत कर देना दोनों बातें दिल को तकलीफ देती है। 

प्यार के बिखरने का प्रायः सबसे मुख्य कारण "विश्वास" ही होता है, बिना विश्वास के कोई रिश्ता पनपता नहीं। कभी कभी एक अच्छे रिश्ते में भी लगातार झूठ बोलने से, बातें छुपाने से विश्वास की नींव कमजोर होने लगती है और समय रहते यदि उसमें प्यार या confession (जो कुछ झूठ बोला या छिपाया को confess करके) द्वारा मरम्मत नहीं की गई तो ये नींव इतनी ज्यादा भी कमजोर हो सकती है कि आपके प्यार दोस्ती या रिश्ते की इमारत का बोझ भी न उठा पाए। कभी कभी हम बिना सामने वाले को अच्छे से जाने खुद से अनेक तरह की mentality बना लेते हैं, ये सोच लेते है कि सामने वाले को सच जान कर या ये ऐसी इस बात को जानकर अच्छा नहीं लगेगा तो अभी झूठ का ही सहारा ले लेते हैं या इसे छुपा लेते है। पर ये तो प्यार दोस्ती या किसी भी रिश्ते के लिए सबसे ज्यादा गलत है। इसका मतलब तो ये हुआ कि न तो आपको सामने वाले पर विश्वास है ना खुद के रिश्ते पर। मैं यह नहीं कहता कि आपके बताने पर सामने वाला गुस्सा बिल्कुल भी नहीं होगा, सम्भव है कि गुस्सा होगा वो बातें जानकर किन्तु क्षणिक। गुस्सा खत्म होने पर उसे अवश्य ही यह एहसास होगा कि रिश्ते में कुछ भी झूठ नहीं है न ही कुछ छुपाया जा रहा है। जैसा कि पिछले article में लिखा था कि प्यार का रिश्ता आईना जैसा साफ होना चाहिए, बीच में कोई पर्दा, दीवार न हो। जब रिश्ता आईने जैसा साफ होगा तब विश्वास किसी भी स्थिति में कमजोर नही होगा।  कुछ लोगों के अनुसार, रिश्ते में हर वक्त एक एक बात अपने पार्टनर को बताना जरूरी नहीं होता, और कुछ पूछने पर ना बताना या छुपाना भी गलत नहीं होता। अगर ऐसा उचित भी है आपको नही पसंद हर बात बताना तो मत बताइए किन्तु यदि किसी परिस्थिति में कुछ पूछ लिया गया तो उस समय तो उसका जवाब देना चाहिए, सम्भवतः यह तो उनके अनुसार भी गलत नहीं होना चाहिए। 

कभी कभी किसी प्रकार की बात पूछे जाने पर ही हम सोचने लग जाते हैं कि हम पर doubt किया जा रहा है, अब पहले जैसा विश्वास, प्यार नहीं रहा और हर बात को इन्ही सब से जोड़कर इसी नजरिये से देखने लग जाते हैं। अब अगर देखा जाये तो पूछने वाले के मन में तो कोई doubt नहीं रहा क्यूंकि जो उसके मन में था उसने तो आपसे कह दिया, किन्तु doubts तो आपके मन में आ गये कि हम पर doubt किया जा रहा है, अब पहले जैसा विश्वास, प्यार नहीं रहा वगैरह वगैरह.... और इन बातों के आपके मन में आने के बाद उस रिश्ते में कितना सफर दोनों ने साथ तय किया है, सारी बातें, कसमें-वादे वो सब विस्मृत होने (भूलने) लग जाता है। बस यहीं से रिश्ते में दूरियां आनी शुरू हो जाती हैं, चाह कर भी दिल से पहले जैसा प्यार नही आ पाता। हमें उस समय शांत होकर सामने वाले द्वारा पूछी गयी बात का बिना गुस्सा किये सीधा जवाब देना चाहिए, यदि आपको उन सवालों से गुस्सा आ भी रहा है तो पूरे जवाब देने के बाद गुस्सा कर लीजिए, क्योंकि गुस्सा को तो बाहर निकलना भी जरूरी है, नही तो मन मे भरा गुस्सा भी रिश्ते में कड़वाहट ला सकता है। सवाल पूछने का सीधा मतलब यह नहीं होता कि हम पर doubt करके हमसे कुछ पूछा जा रहा है। किसी भी रिश्ते में कुछ पूछना कोई doubt नहीं होता वो तो hurdles race के hurdles जैसे होता है, जिस प्रकार hurdles क्रॉस करने के बाद race में आगे ही बढ़ते है और मंजिल उतनी ही करीब आती जाती है, ठीक उसी तरह कभी कभी कुछ पूछने के बाद आपके द्वारा उसका सीधा जवाब देने के बाद रिश्ता और भी मजबूत ही होता जाता है। हां लेकिन जरूरत से ज्यादा सवाल हर वक्त सवाल पूछना तो doubt ही कहा जाएगा और इससे भी रिशतों में कड़वाहट आएगी और दूरियां बढेंगी। 

लोग कहते हैं कि व्यक्ति समय के साथ ढल जाते हैं उनको प्यार करने और अपनी feelings को जाहिर करने का समय नहीं मिलता तो मैं इस बात को सिरे से खारिज करता हूँ मेरा मानना है कि कुछ लोगों को छोड़कर सारे व्यक्ति अपने दिल में प्यारमहफूज रखते हैं, हाँ ये बात और है कि वो जिससे प्यार करते उससे खुलकर जाहिर कर दे या फिर दिल में दबा रहने दें जीवन भर के लिए एक टीस के साथ कि काश! अपने दिल की बात समय रहते कह दी होती।


कभी कभी मैं सोचता हूँ कि अगर ऐसा नहीं है तो फिर क्या है? एक शायर, एक कवि के भीतर लिखते समय वो कौन से अन्य पहलू सक्रिय हो जाते हैं जिससे एक सफल कविता, गीत और गजल की रचना होती है। दर्द भरी गजलें हों या सीख देतीं कवितायें हों या मस्ती भरे गीत हों। ये अच्छे और दिल को छू लेने वाले शब्दों और धुन को संभालती हुई इनकी दुनिया इतनी बड़ी और हसीन बन चुकी है कि उसमें डूब कर खो जाना खुद के लिए प्यार की कायनात पाने जैसा ही है। जहां प्यारसिर्फ प्यार नहीं और दर्दसिर्फ दर्द नहीं है, जिसका कोई अंत नहीं…….
Deepraj Sengar

Tuesday, March 19, 2019

गुस्सा (Anger) ANGER in any relationship

अपने पिछले Article में मैनें मोहब्बत/प्यार/इश्क के बारे में लिखने की कोशिश की। पर अभी लगता है जब तक प्यार में गुस्सा, रूठना-मनाना न हो, तब तक वो अधूरा है। इसलिए अपने इस Article में मैं गुस्से के बारे में लिखने की कोशिश कर रहा हूँ। मैं ग़लत भी हो सकता हूँ। इसलिए इस पर अपनी Opinion जरूर दीजिएगा। 

प्यार और गुस्सा दोनों एक ही सिक्के के दो पहलू हैं। जहां प्यार होता है वहां गुस्सा होना लाजमी है, या यह कहना भी गलत नहीं कि प्यार और गुस्सा एक दूसरे के पूरक होते हैं। गुस्सा एक ऐसी चीज है जो थोड़ी-बहुत सब में होता है। फर्क सिर्फ इतना है कि कोई आवश्यकता से अधिक गुस्सा करता है तो कोई कम। कुछ लोग ऐसे भी होते हैं, जिन्हें गुस्सा जरूर आता है, लेकिन वे उसे व्यक्त नहीं करते। ऐसा कभी आदतवश होता है और कभी विवशता के कारण। पर ये सच है कि हम सभी को कभी न कभी किसी न किसी बात पर गुस्सा आता ही है, क्योंकि अन्य Feelings की तरह यह भी एक Feeling/Emotion है। अक्सर लोग जब अपना गुस्सा उस आदमी पर व्यक्त नहीं कर पाते, जिस पर वे करना चाहते हैं तब वे अपना गुस्सा दूसरी चीजों पर निकालते हैं।

जहां प्यार वहां गुस्सा जरूर आता है। लेकिन इसका असर रिश्ते पर न पड़े यह भी जरूरी है, गुस्सा अगर आया है तो इस पर काबू करना जरूरी है। जब हम किसी दिमागी परेशानी से जूझ रहें हों तो उस वक्त सामने वाले की चाहत और जरूरत को समझना काफी मुश्किल हो जाता है। यह मुश्किल का दौर हो सकता है, इस दौर से निकलना बहुत जरूरी है।

हम अपने सामने वाले से जरूरत से ज्यादा अपेक्षाएं करने लगते हैं जो हमारे रिश्तों में गुस्से की एक वजह हो जाती है। एक दूसरे से उम्मीद रखने में कोई बुराई नहीं है मगर ध्यान रहे कहीं ये उम्मीदें उसकी क्षमता से ज्यादा तो नहीं। फिर कहते है ना जहां ज्यादा उम्मीदें होती है निराशा वहीं से आती है। वक्त बीतने पर जब Coordination बढ़ जाता है तब ये उम्मीद कम कर देना चाहिए।

हम जिनके साथ होते हैं जरूरी नहीं हमारी सोंच भी एक जैसी हो इसलिए अगर उन्हें किसी बात से नाराजगी भी होती है तो उसे प्यार से आपस में Discuss करें। उसे सबके सामने जाहिर न करें। इसका दोनों पर गलत प्रभाव पड़ सकता है। कई बार ऐसा भी होता है कि किसी छोटी-सी बात पर या बेवजह बहुत तेज गुस्सा आता है और ऐसी स्थिति में आपसी संबंधों में दरार पड़ने तक की नौबत आ जाती है।


नए-नए रिश्तों में कई तरह की चीजें होती हैं। जैसे घंटों फोन पर बात करना, एक दूसरे का बहुत ज्यादा ख्याल रखना, डेटिंग के दौरान गलती होने पर माफी मांगना, आदि। लेकिन समय के साथ ये कम हो जाता है। वो इसलिए क्योकिं रिश्ते में थोड़ा गाढ़ापन आने पर इन चीजों की विशेष जरूरत नहीं पड़ती। इस बात के लिए शायद मैं गलत भी हो सकता हूँ, लेकिन ऐसा मेरा मानना है। 


रिश्तों में विश्वास का होना बहुत जरूरी है वरना ये दरार पड़ने में देर नहीं लगेगी। कई बार हम विश्वास ना होने की वजह से एक दूसरे से नाराज हो जाते हैं या उन पर गुस्सा उतार देते है। एक दूसरे के बीच विश्वास अगर बना रहेगा तो कई Situations को आसानी से समझा जा सकता है और गुस्से को संभाला जा सकता है।

कुछ लोगों की आदत में गुस्सा शामिल ही होता है। वो कई बार छोटी-छोटी बातों पर या बिना किसी वजह ही गुस्सा हो जाते है। इन आदतों को समझना बहुत जरूरी है वरना ये रिश्ते के लिए अच्छा नहीं होगा। साथ ही इन्हें दूर करने की कोशिश भी करनी चाहिए।

गुस्से को सहना आना बहुत जरूरी है वरना ये आपकी रिलेशनशिप को खराब कर सकता है। गलतियां इंसान से ही होती है। गलती पर तुरंत प्रतिक्रिया देने के बजाय थोडा धैर्य से काम लेना चाहिए, सोच विचार कर उसे समझायें कि उसने कहाँ गलती की और उसे कैसे ठीक किया जा सकता है। इसी तरह अपनी गलती पर भी, धैर्य रख सोच विचार कर सोचना चाहिए कि अगली बार ये गलती ना दोहराई जाय।

जब हम किसी के बहुत नजदीक होते हैं तो आपसी सम्मान को भूल जातें है। हम बिना सोचे ही बोल देते हैं (ऐसा मेरे साथ अक्सर होता है।) इन आदतों को सुधारना जरूरी होता है। हमें हमेशा ध्यान रखना चाहिए कि मेरा कहा शब्द सामने वाले को कहीं दुःख तो नहीं पहुंचायेगा। इन बातों का अगर ख्याल रखें तो गुस्सा खुद-ब-खुद दूर हो जाएगा।  

किसी के गुस्सा होने पर, उससे बात करते समय आपको शांत रहना चाहिये। यही सबसे अच्छा तरीका है। क्यूंकि आग को आग से नहीं बुझाया जाता। आग बुझाने के लिए पानी की ही जरूरत होती है। जब वह आपको शांत होकर अपनी बात सुनते देखते है, तो उन्हें अहसास होता है कि गुस्सा करने की कोई जरूरत नहीं है। कई बार हम गुस्सा शांत करने के लिए झूठ का सहारा ले लेते है। इससे उस समय तो गुस्सा शांत हो सकता है पर शायद भविष्य में यही झूठ कोई बड़ी परेशानी भी ला सकता है।

जब भी आपका प्यार आपसे गुस्सा हो तो उसे प्यार से मनाने की कोशिश करें। उस वक्त के लिए उसकी सारी बातें मान लें। क्योंकि प्यार से बड़ी कोई दवा नहीं होती है। बेशक गुस्से की कोई दवा नहीं होती, लेकिन इसे Control तो किया ही जा सकता है।

समझदारी के बिना कोई भी रिश्ता पनप नहीं सकता। अगर आप अपने प्यार को जानते-समझते हैं तो आपके लिए उसके गुस्से को काबू करना आसान होगा। सबसे पहले गुस्से का कारण समझें। कुछ लोगों के लिए गुस्सा अपनी Feelings को जाहिर का तरीका होता है। वहीं कुछ लोग गुस्से में Hyper होते हैं। हम जिनके साथ होते हैं उनके दिल के करीब होने के नाते यह हमारी जिम्मेदारी है कि हम उनके स्वभाव को समझें। 

गुस्से में किसी चीज को उठाकर फेंकने से या मारने से हमारे अंदर की भड़ास निकल जाती है और उसके जल्दी शांत हो जाने की संभावनाएँ बढ़ जाती हैं। इसके विपरीत कुछ लोगों को गुस्सा करने की आदत पड़ जाती है जिससे वे अंदर ही अंदर घुटते रहते हैं। गुस्सा दबाना या उसे जाहिर न करना शुरू में किसी विवशता के कारण होता है, जो बाद में आदत का रूप ले लेता है। सच तो यह है कि गुस्से की आग बुझती नहीं बल्कि अंदर ही अंदर सुलगती रहती है। 

इस कारण अक्सर लोग निराशा का शिकार हो जाते हैं और नशे का सहारा लेने लग जाते हैं। गुस्सा दबाने का असर हमारे दिल पर तो पड़ता ही है साथ ही साथ दिमाग पर भी बहुत ज्यादा पड़ता है। यदि मनुष्य अपनी Feelings को जाहिर करे, विशेषकर गुस्से को, तो वह शारीरिक दर्द जैसे सर दर्द, तनाव (Tension/Stress), ब्लड प्रेशर से छुटकारा पा सकता है। अपने अंदर Feelings  इकट्ठा करते जाने से शरीर, दिल और दिमाग सब पर Negative Effect पड़ता है।

पति-पत्नी अक्सर एक-दूसरे के प्रति अपना गुस्सा ना जाहिर कर उसे मन ही मन में छिपाए रखते हैं। जबकि जरूरत है उसे सही तरीके से जाहिर करने की। ऐसा करने से दोनों ही एक-दूसरे के प्रति सच्चा प्यार और विश्वास जाहिर कर सकेंगे और देखेंगे कि एक-दूसरे को गलतियाँ, बताने पर भी उनके संबंधों पर उसका कोई बुरा असर नहीं होता है। वे अपनी सच्ची भावनाओं को हमारे सामने व्यक्त कर सकते हैं। यदि वे हमसे नाराज हैं तो इसको छिपाने की आवश्यकता नहीं। यदि वे हमारे ऊपर अपना गुस्सा जाहिर कर रहे हैं, तो इसका अर्थ यह नहीं कि वे हमसे नफरत करते हैं। गुस्सा जाहिर करना कोई गलत बात नहीं। 
सच तो यह है कि गुस्सा भी प्यार को जाहिर करने का ही एक तरीका है।
-दीपराज सेंगर.Animated Indian Flag  
Deepraj Sengar

Thursday, January 3, 2019

मोहब्बत (Love) What is LOVE???

मोहब्बत कोई मीठा च्युइंगम नहीं जिसे सिर्फ मिठास की हद तक चबाया जाए..दुनिया में सबसे पवित्र है तो वो है बस- प्रेम, इश्क़, मोहब्बत; जो दिल करे कह लीजिये ज़नाब शब्दों में क्या रखा है.... मोहब्बत तो तब कामिल होती है जब जितनी शिद्दत से उस मोहब्बत की ख़ूबसूरती की ख़ुशी को महसूस किया जाता है उतनी ही शिद्दत से आंसुओ के सैलाब में खुद को बहाने का हौसला भी रखा जाए और तब भी दिल के तराजू में मोहब्बत में कोई कमी न आने पाये...   मोहब्बत दिल से होती है खुद ब खुद होती है.. वो तो रिश्ते हैं जिनमे दिमाग शामिल होता है give and take की policy होती है,शायद इसीलिए रिश्ते मर जाते हैं(तब भी लोग समाज के डर से उनको ढोते हैं) पर मोहब्बत कभी मरती नहीं.. चाहे वो लाख दर्द दे पर उस दर्द पर मोहब्बत में मिला एक पल का सुकून उस दर्द पर भारी पड़ता है....मोहब्बत एक खुशबू है जो हमेशा साथ चलती है.. इसके होने पर कोई इंसान तनहाई में भी तनहा नहीं रहता.... 

     सौ आंसुओ के बाद भी अगर तुम्हारे लिए किसी के साथ की एक पल की हंसी.. हाँ वो हंसी जिसमे सिर्फ चेहरा नहीं बल्कि रूह भी शामिल हो.. ज्यादा मायने रखे... मोहब्बत की डोर छोड़ देने की हज़ार वजहों के बावजूद बिना दिखावे के दिल से तब भी उस डोर को ताउम्र थामे रखने की आवाज़ आये..  दिल में वो खूबसूरत एहसास.. उस इंसान के साथ की ख्वाहिश वो ख्वाब.. जैसे के तैसे बने रहे..  सब बिखरने के बाद भी सामने वाले का इंतज़ार और उस इंतज़ार के मुकम्मल होने की उम्मीद न छूटे.....    मोहब्बत में कितना भी दर्द मिला हो पर अगली ज़िन्दगी में फिर से ये दिल शौक से बिना किसी शक के उसी इंसान से मोहब्बत करना चाहे.. तो वो है मोहब्बत और उसकी ताक़त।

    और हाँ.. मोहब्बत का ये सफ़र बहुत फिसलन भरा होता है इसके खूबसूरत पड़ाव में बदकिस्मती और वक़्त की मार से बेखबर हम ख़्वाबों,इरादों की मीनारें खड़ी करते जाते हैं और बस एक पल लगता है सब बिखर जाने में... तब इतनी गहरी चोट लगती है मानो किसी ने आसमान से ज़मीन पर ला पटका हो.. हम रोते हैं.. फूट कर रोते है.. पागलों सा बर्ताव करते है.. जीना नहीं चाहते..सामने वो मंज़र दिखता है जिसमे ये साफ़ पता होता है कि यही तकलीफ ज़िन्दगी के हर पल में हमें जीते जी मारने वाली है... ऐसे में जिसकी मोहब्बत दम तोड़ दे... वो समझे कि उसने कभी मोहब्बत की ही नहीं... मोहब्बत को कभी जाना ही नहीं... क्योंकि मोहब्बत जब हद से गुज़र जाती है तो उसमें वापसी का कोई रास्ता नही होता और न ही होता है कोई मलाल.. मोहब्बत के सफ़र में अगर बदकिस्मत निकले और हमराही साथ छोड़ भी जाए तो मानो वो सफ़र का अंत नहीं शुरुआत है..  हाँ वो खुशनसीब होते हैं जिनको मोहब्बत में हमराही मिलता है उसका साथ मिलता है पर न मिले तब भी मोहब्बत कायम रखना ही तो मोहब्बत है..  जिसमे दोनों तरफ से साथ की ज़रुरत हो वो तो रिश्ते होते हैं.. रिश्ते का वजूद कायम रखने को दो लोगों की ज़रुरत होती है... मोहब्बत के लिए तो अकेला ही काफी है... मोहब्बत की एक मंज़िल होती है रिश्ते में बंधना... पर जो सामने वाला काबिल न समझे और मोहब्बत को वो मंज़िल न मिले.. तब भी उन एहसासों की गर्माहट में कोई फर्क न आये.. वो है मोहब्बत..... 

    मोहब्बत की एक अनिवार्य शर्त होती है.. खुद का मोह छोड़ देना.. खुद को भूल जाना.. खुद के अहं (Ego) को भूल जाना.. किसी और को हद से ज्यादा मोहब्बत करने के लिए सबसे पहले खुद से मोहब्बत छोड़नी होती है... 
     मोहब्बत में एक और बात जो जरूरी है तो वो है कि बीच में कोई परदा, कोई दीवार न हो.. कोई राज़ न हो.. मोहब्बत का रिश्ता आईने की तरह साफ हो..., जो उम्मीद तुम अपने साथी से अपने हमराही से करते हो.. उन्हें पहले तुम खुद भी पूरा करो... तो मोहब्बत का सफ़र उतना ही ज्यादा अच्छा होता जाता है... अगर ऐसा नहीं है, तुम्हें कुछ कहने में, बताने में सोचना पड़ रहा है तो मानो की अपनी मोहब्बत पर तुम्हें खुद ही भरोसा नहीं......   मोहब्बत में ईमानदारी (Loyalty) भरोसा भी उतना ही जरूरी है.. जितना कि शर्बत में मिठास.. क्योकि मोहब्बत बिना यक़ीन के मंजिल तक नहीं पहुंच सकती और न ही मुकम्मल हो सकती है....    

    मोहब्बत करने की बड़ी ताकत चाहिए होती है जनाब, खुद को तबाह करने की ताक़त.., मर मर के जीने की ताक़त.., उसकी याद में पूरी की पूरी रात जागकर बिताने की ताक़त.., चुपके से रातों में रोना पर लोगो के सामने सब ठीक ज़ाहिर करने की ताक़त.., दिल के दर्द को छुपाकर मुस्कुराने की ताक़त... मोहब्बत की दुनिया में सब कुछ हसीं है.. मोहब्बत नहीं है तो कुछ भी नहीं है...  

Deepraj Sengar



  चुप चुप अब रहता हूँ, तो फिर बोलना सिखा दे। मैं हँसता नहीं अब, तो फिर मुस्कुराना सिखा दे । सिखा दे हर वो चीज जो मैं भूल गया हूँ। ...