Saturday, August 24, 2019

नफ़रत (Hate)

प्यार दुलार, Caring और Respect ना केवल खोजना मुश्किल है, बल्कि कई लोगों के लिए इसे accept कर पाना ज्यादा मुश्किल है। इन सबसे भी ज्यादा मुश्किल है नफरत, जिससे आप प्यार करो और आपको उसकी नफरत का सामना करना पड़े। जैसा मैंने अपने पिछले article में अपने personal thought से लिखा था कि जहाँ प्यार होता है, वहां गुस्सा जरुर होता है और प्यार वहीं होता है जहाँ यकीन होता है। इसके अलावा एक और पहलू है, जिससे मैं भी अनजान था या फिर यूँ कहिये कि कभी सोंचा ही नहीं था, और वो पहलू है नफरत...

यूँ तो प्यार सबसे ताकतवर चीज है पर नफरत को भी कम ना आंकिये... प्यार और नफरत दोनों पानी और आग के जैसे हैं। नफरत की शुरुआत सामने वाले के प्रति हमारे मन में आने वाली कड़वाहट और Negativity से होती है। कई बार तो पुरानी से पुरानी, बहुत ज्यादा नफरत भी कुछ ही पलों में प्यार में बदल जाती है, और तब ख़ुशी भी होती है, आँखों से आंसू छलछला जाते हैं, पर वो ख़ुशी के आंसू होते हैं। लेकिन वही ठीक इसके Opposite कई बार कुछ ऐसा हो जाता है जिसका आपको अंदाजा भी नही होता, पता भी नही होता और प्यार में नफरत आ जाती है और तब ख़ुशी नहीं तकलीक होती है, बहुत ज्यादा तकलीफ..... आँखों से आंसू तब और भी ज्यादा छलछला जाते हैं और वो रुकते नहीं... तब जो तकलीफ होती है उसे बता पाना, समझा पाना या लिख पाना मुश्किल है।  

प्यार का सफर इतना आसान नहीं होता जनाब!  प्यार का सफर अगर इतना आसान होता तो राधा कृष्णालैला मजनूशीरिन फराद को इतनी मुश्किलें न आती। एक महान शायर हुए हैं -जिगर मुरादाबादी, उन्होंने प्यार के सफर पर यहाँ तक लिख दिया-
ये इश्क़ नहीं आसान बस इतना समझ लीजिये
एक आग का दरिया है और डूब के जाना है,
ज़ुल्म होंगे सितम होंगे इस राहे-इश्क़ मुहब्बत में
हर तरफ बस कहर होंगे,
हर तूफ़ान हर बाधा को बस चीर जाना है,
इस आग के दरिया में बस डूब जाना है,
हर गली तपती राह होगी
हर फूल भ़ी एक काँटा,
गोली से छलनी दिल भी होगा,
सांसो को भी दर्द
हर दर्द को झेल बस इश्क़ पाना है
इस आग के दरिया में बस डूब जाना है,
हर कोई हौसला तोड़ेगा,
हर कोई मुंह मोड़ेगा,
इस राहे इश्क़ मुहब्बत में 
हर कोई प्यार को तोड़ेगा,
अपने प्यार को लेके इस ज़ालिम जहां से लड़ जाना है,
इस आग के दरिया में बस डूब जाना है,
ग़ालिब ने ना झूठ कहा मैने भी ये माना,
सच है इस दुश्वार जहाँ में ये इश्क़ नहीं आसान
एक आग का दरिया है और डूब के जाना है

अब आप खुद समझ लीजिये कि कितना मुश्किल होता है ये प्यार का सफर और जो इन मुश्किलों से लड़ कर भी आगे बढ़ गया तो उसका प्यार पूरा हो जाता है। किसी से बहुत ज्यादा नफरत होने के लिए या तो उस इंसान से बहुत ज्यादा दोश्ती/प्यार होना जरूरी है या फिर दुश्मनी। दुश्मनी के कारण तो सबको पता ही होते है पर प्यार में नफरत आने के कारण समझ पाना थोड़ा टेढ़ी खीर है।

मेरे अनुसारप्यार और नफरत ये दोनों एक Close Relationship  का एक सामान्य हिस्सा है। लोग उन लोगों के प्रति Positive और Negative दोनों ही तरह से महसूस करते हैंजिन्हें वे प्यार करते हैं। जिनसे हम सबसे ज्यादा प्यार करते हैं उनके प्रति Negative महसूस करने का मतलब यह नहीं है कि आप कुछ गलत कर रहे हैं या आप एक गलत रिश्ते में हैं। पल में अपने साथी से नफरत करने का मतलब यह नहीं है कि आप उन्हें बहुत प्यार नहीं करते हैं। नफरत भी बस एक पहलू है प्यार का...

जब किसी के साथ किसी भी रिश्ते में बहुत करीब होते हैंतो आपस में बातें भी बहुत होती हैंज्यादा से ज्यादा समय साथ होते हैं। अगर दूर भी हैं तो फोन पर भी घंटों-घंटों साथ होते हैं और ऐसे में ये जरुरी नहीं कि आपको उनकी हर चीज हर बात पसंद ही आये। इन्हीं सबको लेकर आपस में कई बार बहसछोटी-मोटी नोंकझोक भी हो जाती हैं और इन बहसनोंकझोक में Positive-Negative दोनों बातें सामने आती हैं। इसी समय अपने साथी के प्रति ज्यादा Positive feel करने का मतलब है कि आप अपने साथी के प्रति कम Negative feel करते हैंऔर ये आपके रिश्ते के लिए अच्छा भी है।

लेकिन यहीं ठीक इसके Opposite अगर आप अपने साथी के लिए ज्यादा Negative feel करते है तो ये आपके रिश्ते के लिये बिलकुल भी अच्छा नहीं है। ये Negativity जितनी ही ज्यादा बढ़ती जाएगीरिश्ता उतना ही कमजोर होता जाएगा। अगर आप अपने साथी के लिए बहुत ज्यादा Negative feel करने लगे हैं तो इसका मतलब नफ़रत ने आपके दिल में घर कर लिया है और समय रहते इस नफ़रत, Negativity को कम नहीं किया गया तो यही दिल की नफ़रत, Negativity दीमक की तरह खा खा कर प्यार को कम करती चली जाएगी और जब ऐसा होना शुरू हो गया तो गुस्सा ज्यादा आना शुरू हो जायेगाबिना बात के भी गुस्सा बढ़ता जायेगासीधी सी बात को भी आप समझने को तैयार नहीं होगे और समझेगे भी कैसे? क्यूंकि आप तो अब हर चीज Negative नजरिये से देख रहे हैं.... और फिर धीरे-धीरे आपका अपने साथी पर से यकीन भी कम होना शुरू हो जायेगा और अंत में ये यकीन खत्म होने की स्थिति में पहुँच जायेगा और अगर यकीन खत्म हुआ तो लाख कोशिशों के बाद भी आप अपने उस प्यार/रिश्ते को नहीं बचा पाओगे.....

बेशक प्यार में नफरत जैसी कोई चीज है। खुश और स्वस्थ रहने के लिए रिश्तों का हर समय Positive होना जरूरी है। बहुत ज्यादा Negativity किसी भी पुराने से पुराने रिश्ते के लिए भी हानिकारक हो सकती है। Negativity बढ़ जाने के बाद जब आप ज्यादा सोंचने लगते हैं तो बीती पिछली पुरानी बातोंअच्छी यादों में भी हम नुख्श/कमियां तलाश लेते हैं और हर नजरिये से गलत देखना/सोंचना शुरू कर देते हैं। जो बातें उस बीते हुए समय में हमें सही लगती थीवही बातें आज Negativity बढ़ जाने के बाद आपको हर तरह से गलत ही लगती हैं।  

Negativity बढ़ जाने के बाद आपको लगता है कि हमारे साथी को रिश्ते की कोई परवाह नहींकोई कदर नहीं। अगर उसे वाकई में रिश्ते की कोई परवाह नहींकोई कदर नहीं होगी तो वो उस रिश्ते के लिए आपसे बार बार बहस ही क्यूँ करेगाआप खुद से सोंच कर देखिये किकोई भी कभी ये नहीं चाहता कि उसका बना हुआ प्यारा सा रिश्ता किसी भी तरह से खराब हो। जो आपस में नोकझोक हो रही हैं वो शायद अपना प्यारअपना रिश्ता वापस पहले जैसे पाने के लिए हो रही हों। वैसे भी वो प्यार ही क्या जिसमे तकरार न होरूठना मनाना ना हो....

Deepraj Sengar


  चुप चुप अब रहता हूँ, तो फिर बोलना सिखा दे। मैं हँसता नहीं अब, तो फिर मुस्कुराना सिखा दे । सिखा दे हर वो चीज जो मैं भूल गया हूँ। ...